आज हम आपको बताने वाले है की बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब? और कब किया और इसकी खोज कैसे की गई थी? जब पहले दुनिया मे बल्ब का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग रात के अंधेरे मे रोशनी जलाने के लिए मसाल, मोमबत्ती, दिए आदि का इस्तेमाल किया करते थे।
लेकिन जब बल्ब का आविष्कार कर लिया गया तब संसार की तस्वीर ही समय के साथ बदल गई। जहां शुरू मे लोग 100 वॉट लाइट बल्ब का इस्तेमाल किया करते थे वही अब कम पावर मे ज्यादा रोशनी देने वाले led बल्ब का इस्तेमाल कर रहे है।
ये ट्रांसफॉर्मेशन बल्ब का आविष्कार करने के बाद ही सम्भव हो पाया है तो चलिए जानते है की Bulb का आविष्कार किसने और कैसे किया था?
बल्बब का आविष्कार किसने और कब किया
पहले रात के समय मे कोई भी काम करना बहुत ही मुश्किल होता था। लेकिन आज जो हम रात मे क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी जैसे गेम खेल पा रहे है, कही भी रात मे घूम सकते है इन सभी का श्रेय थॉमस ऐल्वा एडीसन (Thomas Alva Edison) को जाता है।
यही वो शख्स है जिन्होने Bulb Ka Avishkar Kiya था वैसे तो इनसे पहले बहुत सारे साइंटिस्ट ऐसा कुछ बनाने का प्रयास किया था लेकिन सफल सिर्फ थॉमस ऐल्वा एडीसन ही हो पाए थे।
थॉमस ऐल्वा एडीसन उस समय के यूनाइटेड स्टेट्स मे जाने माने वैज्ञानिक थे। जिन्होंने अपने जीवन के दौर मे कई सारे आविस्कर किए जैसे की कार्बन टेलीफोन ट्रांसमीटर, एल्कलाइन स्टोरेज बैटरी ,ग्रामोफोन और मोशन पिक्चर कैमरा आदि।
लेकिन बल्ब का अविष्कार उनके लिए जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों मे से एक था। ऐसा कहा जाता है की बल्ब को बनाने में थॉमस अल्वा एडिसन हजार बार असफल हुए थे लेकिन वो निरंतर प्रयास करते रहे।
आखिरकार सन 1879 में उन्होंने बल्ब का आविष्कार कर ही दिया। साथ ही बल्ब बनाने में उन्होंने 40 हजार डॉलर खर्च किए थे और सन 27 जनवरी 1880 में बल्ब बनाने का पेटेंट मिला था।
बल्ब का आविष्कार कैसे हुआ था?
बिजली का इस्तेमाल करके रौशनी पैदा करने का सबसे पहला विचार एक अंग्रेजी साइंटिस्ट Humphrey Davy के मन मे आया था। उन्होंने सबसे पहले ये सुनिश्चित किया की बिजली के तारो के जरीए करेंट सप्लाई किया जाए तब वो गरम होकर तेज रोशनी पैदा कर सकता है।
लेकिन उनके Light Bulb के design मे कुछ खामियां थी। जिसके कारण वो कुछ घंटो तक ही जल पाते थे उनके अलावा भी बहुत से लोगो ने बल्ब बनाने का ट्राई किया लेकिन पूरी तरह कोई सफल नही हो पाया।
जब थॉमस ऐल्वा एडीसन ने बल्ब बनाना शुरू किया तो बल्ब का फिलामेंट बनाने के लिए उन्होंने दो हजार से भी ज्यादा अलग-अलग सामानों को ट्राई किया लेकिन वो हजारों बार उसे सही से बनाने मे असफल रहे।
लेकीन फिर कई सालों की कड़ी मेहनत और हजारों प्रयासों में विफल होने के बाद उन्होंने एक ऐसा तोड़ निकाला की पूरी दुनिया के सामने सन 1879 को carbon filament light bulb पेश कर दीया।
थॉमस ऐल्वा एडीसन ने बल्ब का आविष्कार कैसे किया?
एडीसन वैक्यूम के चीजों के साथ काफी काम किया करते थे light bulb बनाने के लिए उन्होने thin carbon filament के साथ बेहतर डिजाइन का इस्तेमाल किया जिसमे बेहतर vacuums का उपयोग किया गया।
जिसके कारण वो वैज्ञानिकि और व्यावसायिक दोनो चुनौतियां को खत्म करने मे सफल रहे। जिसका ये परिणाम हुआ की उन्होंने light bulb का अविष्कार कर लिया।
जब उन्होंने बल्ब बनाने का पेटेंट करवा लिया। तब एक बार रिपोर्टर ने उनसे ये सवाल किया कि हजार बार असफल होने के बाद मिली सफलता पर आपको कैसा लग रहा है?
तो थॉमस ऐल्वा एडीसन ने कहा कि ये कहना गलत होगा के मैं हजार बार फेल हुआ। बल्कि मैने सफलतापूर्वक हजार तरीके ऐसे खोजे जिनसे हम बल्ब नही बना सकेंगे।
बिजली का बल्ब कैसे जलता है?
असल में बल्ब बिजली से चलने वाला एक ऐसा उपकरण है जिसका इस्तेमाल हम रोशनी उत्पन करने के लिए करते है, ये एक खोखला काँच का गोला होता है जो अंदर से Vacuum की तरह काम करता है।
इसमें एक टंगस्टन का तंतु लगा हुआ रहता है, जब हम तारो के माध्यम से इस तंतु में विद्युत प्रवाह करते है। तब ये कुल ही श्रण में गर्म हो जाता है और गर्म हो कर तुरंत रोशनी उत्पन्न करता है।
बल्ब का फिलामेंट नाइक्रोम नाम के पदार्थ से बना हुआ होता है बल्ब अपने फिलामेंट की वजह से ही रोशनी उत्पन करता हैं। बल्ब के फिलामेंट तक सही मात्रा में विद्युत धारा का जाना बहुत आवश्यकता होता है।
क्यूंकि तब ही जाकर उस पदार्थ को चमकने की शक्ति मिलती है जिससे हमें रोशनी मिलती है। जब आप बल्ब को गौर से देखेंगे तो उसके अंदर एक V -shape का तार दिखेगा उन दोनो तार के बीच में एक पतली सी एक चीज दिखाई देगी
जब हम बिजली को तार की मदद से करेंट को फिलामेंट तक पहुंचते है तब वो बल्ब चमकता है। साधारण शब्दों में समझें तो बल्ब खास तरह का उपकरण होता है जो विद्युत ऊर्जा को रोशनी ऊर्जा में बदलता हैं।
पहले के बल्ब से हमे पीले रंग की रोशनी मिलती थी लेकिन अब अनेक रंगों के बल्ब अलग अलग तरीक़े से कम करके रोशनी देते है। लेकिन सबके काम करने का सिद्धांत थॉमस अल्वा एडिसन के बताए हुए सिद्धांत पर ही काम करता हैं।
बिजली बल्ब के प्रकार
बल्ब का आविष्कार होने के बाद उसके अंदर समय के साथ बहुत तेजी से अलग अलग तरह का परिवर्तन और आधुनिकिकरण हुआ जिसके कारण आज हमें अनेक प्रकार के बल्ब देखने को मिल जाते है।
जहां पहले के बल्ब फिलामेंट के चमकने पर रौशनी देते थे वही अब कई ऐसे तरह के बल्ब आ गए है जो बिना फिलामेंट के चमकते है और बहुत रोशनी भी प्रदान करते है तो चलिए जानते है बल्ब के तीन प्रकारों के बारे में।
1. तापदीप्ति बल्ब ( incandescent bulb)
ये तापदीप्ति बल्ब सबसे पुराना बल्ब है और यह वही बल्ब है जो पीले रंग की रोशनी प्रदान करता था। इसका उपयोग 18 वीं सदी से लेकर 21वीं सदी के शुरवात तक अलग अलग प्रकार के बदलाव करके किया गया।
ऐसे बल्ब जो गर्म होने के कारण प्रकाश उत्पन्न करते है उनको तापदीप्ति बल्ब यानि Incandescent light bulb कहा जाता है जो 1.5 वोल्ट से लेकर 300 वोल्ट तक की बिजली पर लाइट उत्पन्न कर सकते हैं।
इस प्रकार के बल्ब को बनाने मे बहुत कम खर्चा आता है और इस प्रकार का बल्ब आपको बाजार में 1 वाट से लेकर हजारों वाट तक मिल जायेगा। ये AC और DC दोनो प्रकार के करेंट पर आसानी से चल सकते है।
लेकीन अब इस प्रकार के बल्ब का उपयोग बहुत कम हो गया है क्युकी ये बहुत ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करते थे। लेकिन बहुत ही कम रोशनी उत्पन करते थे साथ ही इतने ज्यादा टिकाऊ भी नही थे।
अब इसकी जगह अब CFL Bulb और LED Bulb आ गए है जो कम बिजली का उपयोग करके ज्यादा रोशनी देती है।
2. फ्लोरोसेंट (fluorescent)
बीसवीं सदी सदी तक आते आते आते CFL बल्ब मार्केट मे आ गया जिसे संहत प्रतिदीप्त लैंप यानी Compact Fluorescent Lamp कहते है, ये दो प्रकार के होते है पहला integrated (एकीकृत) और दुसरा (गैर-एकीकृत लैंप
) non-integrated।
सस्ती कीमत और अधिक रोशनी प्रदान करने के कारण इस CFL बल्ब ने पूरी तरह incandescent lamps को खतम कर दिया और पूरी दुनिया में छा गया और ये पुराने पीले रंग के बल्ब की तुलना मे काफी टिकाऊ है।
CFL बल्ब से सफेद रंग की रोशनी मिलती है और यह बल्ब गैस के ऊपर चमकता है क्युकी इस फ्लोरोसेंट बल्ब में गैस भरा जाता है।
3. एलइडी बल्ब
अभी के दौर मे हम एलईडी बल्ब का ही सबसे ज्यादा उपयोग कर रहे है इसने बहुत हद तक CFL बल्ब के मार्केट को रिप्लेस किय। ये सीएफएल बल्ब की तुलना मे अधिक पावर एफिशिएंट और कम बिजली कंज्यूम करता है।
इस एलईडी बल्ब को छोटे छोटे बहुत सारे बल्ब को मिलाकर बनाया जाता है, ये सीएफएल की तुलना मे अधिक रोशनी देता है और उससे भी बहुत ज्यादा ड्यूरेबल है।
LEB बल्ब आमतौर पर सफेद कलर की रोशनी उत्पन करता है, लेकिन एलईडी बल्ब को किसी भी कलर में बनाया जा सकता है।
बल्ब का आविष्कार किसने किया – FAQs;
आपको जानकर शायद हैरान हो आपने जीवन के दौरान उन्होंने एक हजार से भी ज्यादा आविष्कार किए थे। और कुल 1,093 आविष्कारों का पेटेंट कराए जिनमे से बिजली के बल्ब और आवाज रिकॉर्ड और प्लेबैक करने वाले फोनोग्राफ उपकरण का आविष्कार उन्हे इतिहास में अमर बना गए।
किसी भी बड़े आविष्कार के पीछे बहुत से लोगो का थोडा थोडा योगदान रहता है। थॉमस ऐल्वा एडीसन से पहले भी लोगो ने बल्ब बनाने का प्रयास किया था लेकिन Thomas Edison ही इसमें पूरी तरह सफल हो पाए थे और light bulb के commercial production के पीछे भी इनका बहुत बड़ा योग्यदान था।
एलईडी बल्ब का आविष्कार जनरल इलेक्ट्रॉनिक नामक इंटरनेशनल कंपनी मे काम करने वाले एक इंजीनियर निक होलोनाइक (Nick Holonyak) द्वारा 1962 में किया गया था। अभी जो पूरी दुनिया में एलईडी बल्ब उपयोग हो रहा है इसका अविष्कार आज से 60 वर्ष पहले हो चुका था।
बड़े बल्ब बनाने में कम pressure पर आर्गन, क्रिपटोन, नाइट्रोजन, जीनोन और हाइड्रोजन में से कोई भी एक निष्क्रिय गैस भरी जाती है। आमतौर पर सबसे ज्यादा क्रिपटोन गैस को भरा जाता है क्यूंकि ये सबसे उत्तम है जिसका उपयोग छोटे बल्ब को तैयार करने के लिए भी कर सकते है।
सेफ्टी फ्यूज और ऑन/ऑफ स्विच को भी अमेरिकन साइंटिस्ट थॉमस ऐल्वा एडीसन (Thomas Alva Edison) द्वारा ही बनाया गया था।
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आज अपने क्या जाना?
तो दोस्तों आजके इस पोस्ट से अपने बल्ब का आविष्कार किसने किया इसके बारेमे जाना साथ अपने बल्ब कब आविष्कार हुआ उसके बारेमे भी जाना, इस पोस्ट में हम बल्ब से जुड़े और कुछ जानकारी दी है जैसे की बल्ब आविष्कार कैसे हुआ और भी बहुत कुछ जो अपने ऊपर पोस्ट में पढ़ा, तो अगर आपको यह जानकारी सही में पसंद आया तो पोस्ट को अपने दोस्तों के जरूर शेयर करे।
यदि बल्ब आविष्कार से जुड़े कोई भी सवाल बल्ब आविष्कारक के बारेमे कुछ जानना हो या आपके मनमे इस पोस्ट से जुड़े कोई भी सवाल है तो निचे कमेंट के हम आपके सवाल के सही जवाब देने की पूरी कोसिस करेंगे।
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